हम सभी दवाई के नाम से घबराते है और जब बात इंजेक्शन की आती है तो हमारी हवा खराब हो जाती है। मुझे आज भी याद है जब मैं 4 क्लास मैं थी तब एक दिन स्कूल से आते हुए मेरे पैर में कुत्ते ने काट लिया। मुझे कुत्ते के काटने से हुए जख्म का दर्द इतना नहीं था जितना की मैं 14 इंजेक्शन के बारे में सोच कर डर रही थी। इसके बाद घर पहुंचते ही मैंने मम्मी को सारी बात बताई जिसे सुनकर वो मुझे डॉक्टर के पास लेकर गयी मैं अंदर से इंजेक्शन के बारे में सोच सोच कर डर रही थी मुझे समझ नहीं आ रहा था की मेरे साथ क्या होने वाला है पर डॉक्टर अंकल ने जाते ही मुझे ऑरेंज की टोफी दी और कहा इसे चूसते हुए खाना कुछ भी नहीं होगा मुझे बातो में लगाकर और टोफी देकर मुझे उन्होंने इंजेक्शन लगा दिया और मुझे दर्द तो हुआ पर वो मेरी कल्पनाओ से काफी कम था। एक अच्छा डॉक्टर मरीज के डर को कैसे ख़तम कर देता है ये उस दिन मैंने जाना और मैं उसके बाद इंजेक्शन से भी नहीं डरती।