बेहद कम बजट की फ़िल्म जो बिना किसी शोर-शराबे के आई थी। आते ही छा गयी। इस फ़िल्म के बारे में बहुत पहले ही कहा जा चुका है। अब ये ott पर आई है। बेहद खूबसूरत फ़िल्म है जो आपके भीतर भावनाओं का ज्वार ला देती है। विक्रांत मेसी ने अब तक अपना सबसे बेहतर क्रिमिनल जस्टिस में दिया था। लेकिन इस फिल्म में उससे भी आगे निकल गए हैं। यहां मानो विक्रांत मेसी ने खुद को झोंक दिया है। यह फ़िल्म कई अवार्ड्स जीतने वाली है।
लड़की लेटर में लिखती है कि तुम IPS बनो या चक्की पीसो।
मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी।
तो सच ये है बरखुरदार! कि लड़की अगर समझदार होती ऐसा कभी नही कहती.. और उसे ऐसा कहना भी नही चाहिए।
अगर कहती है तो वो एक नम्बर की बेवकूफ है..
कम से कम स्टेट PCS निकालने वाली से तो यह उम्मीद नही कि वो ऐसा कहे।
अपने माँ बाप से विद्रोह भी करके चक्की वाले के साथ विवाह करे।
फ़िल्म बनी तो है लेकिन और अच्छी होनी चाहिए थी।
फ़िल्म का प्लाट तगड़ा दिखाया गया लेकिन फ़िल्म को वो ग्रेविटी नही मिली जो मिलनी चाहिए थी।
The viral fever ने इसपर पहले ही मतलब भर का काम किया है। तमाम सीरीज ला चुका है।
इसलिए यह फ़िल्म पिट गयी।
ईमानदारी होनी चाहिए, लेकिन ईमानदारी का घमंड बहुत बुरा होता है फ़िल्म में शो ऑफ बहुत हुआ है…..
कम से कम किसी दरोगा को इंटरव्यू देने वाला ये नही कहता कि तुम्हाराआँ सस्पेंशन करूँगा। जबकि उसको यह तक नही पता कि सिलेक्शन होगा तो कहाँ होगा और किस कॉडर में होगा।
अब बेसिक गलतियां नही होनी चाहिए। वो भी जब फ़िल्म को पढ़ने लिखने वाले बच्चों को ध्यान में रखकर बनाया गया हो।
वो भी तब जब आप विकास दिव्यकिर्ती के साथ फ़िल्म कर रहे हों…
इससे पहले भी शादी में जरूर आना में यह blunder हो चुका है बहुत ही फूहड़ फ़िल्म थी.. छपरी टाइप की।
इंटरव्यू वाला सीन भी पूरी तरह मिथुन की फिल्मों से प्रेरित है.. इंटरव्यूअर भगा देगा, ऐसे उलूल जुलूल उत्तरों पर..
फ़िल्म की एंडिंग बहुत जबरदस्त थी.. रोना आ गया लेकिन इंडियन सिनेमा आज भी बहुत पीछे है… बहुत बेसिक गलतियां करता है..