कुछ लड़कियों की शादी की उचित उम्र, अपना कैरियर बनाने के चक्कर में निकल जाती है…
कुछ इतना ज्यादा पढ़-लिख लेती हैं कि उनके लायक लड़का, जल्दी मिलता नहीं…
कुछ लड़कियां अपनी खूबसूरती के घमंड में आए हुए रिश्तों को ठुकराती रहती हैं और शादी की उम्र निकल जाती है…
फिर होती हैं बेमेल शादियां
और इनको 10-12 साल बड़े युवा से शादी करनी पड़ जाती है…
इसके बाद…
फिर कुछ लड़कियां अपने अधेड़ उम्र के पति को उम्रदराज होने का अथवा नामर्दी का ताना आजीवन मारती रहती हैं…
कुछ सच्चे प्यार की तलाश में अपने पति और परिवार की इज्जत खाक में मिलाकर प्रेम-प्रसंग में पड़ जाती हैं…
कुछ अपने प्रेमी संग भाग जाती हैं…
कुछ तो प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या तक कर डालती हैं…
कुछ शातिर लड़कियां तो महिलावादी कानून की आड़ में पति और ससुराल वालों को झूठे मुकदमे में फंसा कर, तलाक देने के नाम पर मोटी रकम वसूलती हैं…
कुछ की मानसिकता होती है कि..गुजाराभत्ता लेकर स्वच्छंद और अय्याशी भरी ज़िंदगी बिना किसी की रोक टोक के गुजारने की खातिर अलग रहो और मस्त रहो..!!
ऐसी मानसिकता वाली लड़कियां ये भूल जाती हैं कि इनकी दशा बुढ़ापे में क्या होगी???
जब तक यौवन है, तब तक ही लोगों की भीड़ और हमदर्दी जुटा पाएंगी और बुढ़ापे में इनके सभी हितैषी भी किनारा कर लेंगे और ये खून के आंसू ही बहाएंगी..!!