निधि के पापा नहीं थे। सारी जिम्मेदारियां निधि की मां रमा के ऊपर आ गई थी। निधि के रिश्तेदारों ने किनारा खींच लिया था। निधि की शादी की चिंता रमा को तो नहीं पर उसके चचेरे भाई के दामाद समीर को बहुत हो रही थी।
एक दिन उन्होंने रमा को फोन किया कि रमा अब शादी के लायक हो गई है। मैंने एक लड़का देख लिया है, हमारे ही गांव के पास उसका घर है,बुआ जी आप आ जाइये।आप लड़का और घर बार देख लीजिए। लड़का इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहा है।
रमा उनके साथ लड़के के घर गई।वह देखकर दंग रह गई,घर तक जाने का रास्ता खेतों के बीच में पतले मेड़ से था।वह कई बार गिरते गिरते बची। कच्चा, टूटा फूटा घर,घर की महिलाएं अंदर घूंघट से झांक रही थी। लड़का बदसूरत काला,ना बोलने की तमीज और ना ही कोई शिष्टाचार।
रमा ने पूछा, क्या करते हो बेटा, पालिटेक्निक कालेज में प्रथम वर्ष में पढ़ रहा हूं।
थोड़ी देर में रमा वापस जाने के लिए मुड़ गई। समीर भी उठ कर चल दिए।
कुछ दिन बाद समीर ने कहा, तो बुआ जी रिश्ता पक्का है ना।आप सगाई कर दीजिए और जल्दी शादी तय कर लीजिए।
रमा ने कहा, अभी निधि की पढ़ाई पूरी नहीं हुई है। बाद में देखते हैं। समीर ने कहा, अरे बुआ जी,अब लड़की को पढ़ कर क्या नौकरी करना है।उसे तो शादी के बाद गांव में ही चूल्हा चौका करना है। बच्चे पालना है।
रमा का पारा गरम हो गया।वह क्रोधित होकर चिल्लाई, एक तो लड़के की शक्ल सूरत तहजीब नहीं। ऊपर से वह पालिटेक्निक कालेज में है, आपने मुझसे झूठ बोला।आपके कई एहसान हम पर हैं,पर इसका मतलब यह नहीं है कि मैं अपनी बेटी को भाड़ में झोंक दूं। आपको पता है, वो दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ रही है।उसके पापा नहीं है तो क्या हुआ उसकी मां अभी जिंदा है। समीर भी गरम हो कर बोले, देखता हूं कौन शादी करता है?
यह कह कर उन्होने सारे संबंध तोड़ दिए।
बाद में निधि एक अधिकारी बनी और उसकी शादी भी एक बड़े अधिकारी के साथ हुई।