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प्यार क्या है

प्यार एक पूंजीवादी विचारधारा है. लड़कियों के सपने में आईएएस/IPS ही आते हैं.. चक्की पर काम करने वाले मजदूर नही..
दूसरी लड़की को पहचान रहे हैं जो अपने करियर के लिए विवाह की रात में भाग गई थी..
उसने गलत क्या किया था??
एकदम सही किया था।

मजे की बात देखिये लड़का उस फिल्म में आईएएस इसलिए बना क्योंकि उसको बदला लेना था। उसको देश दुनिया समाज से कोई लेना देना नही था, वरना वो क्लर्क की नौकरी में भी खुश था।

मोटिवेशन तो ऐसा पागल किया है कि पढ़े लिखे लड़के राह चलते मदारी से भी प्रेरित हो जाते हैं।
फिर ये तो फ़िल्म थी..

अब ऐसा लग रहा सब आईपीएस बन जाएंगे लेकिन उनको साथ देने वाली चाहिए।
साथ छोड़ देगी कोई तो ज्यादा ऊंची पोस्ट मिल जाएगी।

पर बिना दिल टूटे कुछ होने वाला नही है..
अब कोचिंग इंस्टीट्यूटों की आवश्यकता नही है. बस प्यार मोहब्बत सिखाया जाए.. सब सेल्फ स्टडी से ही कॉम्पटीशन निकाल ले रहे हैं..

ऐसा फिल्मी भूत चढ़ा हुआ है कि बिना दो तीन पेपर में फेल हुए यह उतरने वाले नही है…
और एक बात 16 घण्टा काम करके पढ़ाई करने का नाटक वही दिखा सकता है जो पहले ही पेपर पास कर चुका हो..

इसलिए हवा में मत रहिके, जमीन पर चलिए। यही लड़की जो मनोज का साथ दे रही थी ये भी मनोज को एरोनॉटिकल इंजीनियर समझ कर ही उनसे नजदीक आई थी। चक्की वाला मजदूर जानती तो
ताकती नही…
खैर कुछ अनुभव ऐसे होते हैं जो बिना लात खाये समझ नही आते।

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